
हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर में रियासतकाल की जन्म-जन्मांतर के साथ का एहसास करवाने वाली एक प्रेम कहानी आज भी जिंदा है। शहर के ऐतिहासिक विला राउंड स्थित कैथोलिक कब्रगाह में अंग्रेजी मेम की प्रेमगाथा से जुड़ी है यह कहानी। महाराजा शमशेर प्रकाश के शासनकाल के दौरान सिरमौर के चीफ मेडिकल अफसर डॉ.. इडविन पियरसाल की पत्नी मैडम लूसिया पिसरसाल पति के निधन के बाद भी वापस वतन नहीं लौटीं।
नाहन शहर के ऐतिहासिक विला राउंड में पति की कब्र के साथ ही दफन होने की उनकी इच्छा ने उन्हें यहीं का बनाकर रख दिया। पति की मृत्यु के बाद अंग्रेजी मेम लगभग 38 साल यहीं रहीं। इतिहास को खंगालें तो पता चलता है कि डॉ. पियरसाल ने 11 साल तक महाराजा को सेवाएं दीं। 19 नवंबर, 1883 में इंतकाल हो गया।
उस समय उनकी आयु 50 साल थी। महाराजा ने डॉ. पियरसाल को पूरे सैनिक सम्मान के साथ नाहन के ऐतिहासिक विला राउंड में दफन किया। हिमाचल के पूर्व विस अध्यक्ष टीएस नेगी की सिरमौर गेजेटियर, कंवर रणजोर सिंह की तारीख-ए-रियासत सिरमौर… पुस्तक में भी इस प्रेम कहानी का जिक्र है।
भाषा विभाग ने कुछ साल पहले ही इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद किया है। हिस्ट्री ऑफ सिरमौर में भी डॉ. पियरसाल का जिक्र है। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि जब उनका निधन हुआ, उस समय लेडी लूसिया 49 साल की थीं। 1885 में लूसिया ने भारी धन खर्च कर अपने पति की कब्र को पक्का करवाया और इंग्लैंड न लौटकर यहां रही। चाहतीं थीं कि जब उन्हें मौत आए तो वे पति की कब्र के साथ दफन हों।
इसके लिए लूसिया ने 38 साल मौत का इंतजार किया। 19 अक्तूबर 1921 को आखिरकार लूसिया का इंतजार खत्म हुआ और अपने पति को याद करते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया। लूसिया की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए महाराजा ने सम्मान सहित लूसिया को भी उनके पति डॉ. पियरसाल की कब्र की बगल में दफनाया।
राजवंशज एवं पूर्व विधायक कंवर अजय बहादुर ने बताया कि कई पुस्तकों में भी डॉ. इडविन व मैडम लूसिया की प्रेम कहानी का जिक्र है। मैडम लूसिया की इच्छा थी कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें पति के बगल में दफनाया जाए। उनकी मृत्यु के बाद बकायदा उन्हें राजकीय सम्मान के साथ विला राउंड में पति की कब्र के समीप दफनाया गया था।