हिंदी ना केवल भारत में अपितु पूरे विश्व में बोली जाती है
महानगर संवाददाता
मॉरीशस में 1926 ई. में हिंदी प्रचारिणी सभा की स्थापना हुई जिसके द्वारा तिलक विद्यालय की स्थापना हुई और जिसका उद्देश्य था हिंदी के व्याकरण सम्मत पढ़ाई कराना और जो बाद में 1946 में हिंदी भवन के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
सूरीनाम में भारत वासियों की ओर से देशभर में हिंदी शिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। फिजी में पहली भारतीय पाठशाला की स्थापना सन 1916 में हुई। उसके बाद सनातन धर्म सभा, आर्य सभा, आर्य समाज, गुरुद्वारा कमेटी आदि ने अनेक पाठशालाएं खोलें और उनमें हिंदी शिक्षण का कार्य नियमित रूप से प्रारंभ हो गया।
नेपाल में त्रिभुवन विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर कक्षा तक हिंदी में अध्ययन की व्यवस्था है। वर्मा में 1918 में हिंदी शिक्षण आरंभ हुआ और हिंदी साहित्य सम्मेलन वर्तमान में भी सक्रिय है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी में साहित्य सृजन भी पर्याप्त हो रहा है। मॉरीशस में सन 1976 में दूसरा विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ और 1993 में चौथा सम्मेलन हुआ। मॉरीशस सरकार का कला एवं संस्कृति मंत्रालय हर वर्ष विभिन्न भाषाओं के नाटकिय समारोह का आयोजन करता है, जिसमें सबसे अधिक हिंदी के नाटक होते हैं।
ब्रिटेन में भारतीय विद्या भवन महालक्ष्मी मंदिर और आर्य समाज आदि ने साहित्य सृजन की दृष्टि से महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। साहित्यकारों में अभिमन्यु अनंत, कुसुम वेदी, श्रीमती उषा राजे और तेजेंद्र शर्मा प्रमुख हैं। हिंदी साहित्य का विश्व के अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है, जिनमें प्रेमचंद का 'गोदान', फणीश्वर नाथ रेणु का 'मैला आंचल' और तुलसीकृत 'रामचरितमानस' प्रमुख हैं। हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने में सिनेमा का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज हिंदी सिनेमा ने विदेशों में भी अपनी पहुंच बनाई है, और हिंदी के वैश्विक परिदृश्य को पूरा किया है।
1949 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहली बार हिंदी बोली गई थी। 2006 में देश के तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पहला विश्व हिंदी दिवस मनाया था। तभी से 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस या विश्व हिंदी दिवस मनाया जाने लगा। ऐसे में आपको भी इस तिथि को याद रखना चाहिेए। यदि आप जागरूकता पैदा करना चाहते हैं और युवा पीढ़ी को भाषा के बारे में अधिक जानकारी देना चाहते हैं तो इस दिन को मनाना महत्वपूर्ण है।
हिन्दी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है
एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है। देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिन्दी देश की राजभाषा होने के बावजूद आज हर जगह अंग्रेजी का वर्चस्व कायम है। हिन्दी जानते हुए भी लोग हिन्दी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। इसलिए सरकार का प्रयास है कि हिन्दी के प्रचलन के लिए उचित माहौल तैयार की जा सके।
राजभाषा हिंदी के विकास के लिए खासतौर से राजभाषा विभाग का गठन किया गया है। भारत सरकार का राजभाषा विभाग इस दिशा में प्रयासरत है कि केंद्र सरकार के अधीन कार्यालयों में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में हो। इसी कड़ी में राजभाषा विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। 14 सितंबर, 1949 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस निर्णय को महत्व देने के लिए और हिन्दी के उपयोग को प्रचलित करने के लिए साल 1953 के उपरांत हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है।
14 सिंतबर, 2017 को राजभाषा विभाग द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने देश भर के विभिन्न मंत्रालयों / विभागों/ कार्यालयों के प्रमुखों को राजभाषा कार्यान्वयन में उत्कृष्ट कार्य हेतु पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “हिन्दी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। किसी भी भाषा की तरह हिन्दी भी मौलिक सोच की भाषा है। मुझे इस बात की खुशी है कि आज सरकार के कर्मचारियों तथा नागरिकों को मौलिक पुस्तक लेखन के लिए पुरस्कार दिये गये हैं।”
प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा भारत में ‘‘प्रवासी भारतीय दिवस’’ मनाया जाता है
केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप कंप्यूटर पर हिंदी में कार्य करना अधिक आसान एवं सुविधाजनक हो गया है। इसी क्रम में राजभाषा विभाग द्वारा वेब आधारित सूचना प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है जिससे भारत सरकार के सभी कार्यालयों में हिंदी के उत्तरोत्तर प्रयोग से संबंधित तिमाही प्रगति रिपोर्ट तथा अन्य रिपोर्टें राजभाषा विभाग को त्वरित गति से भिजवाना आसान हो गया है। सभी मंत्रालयों और विभागों ने अपनी वेबसाइटें हिंदी में भी तैयार कर ली हैं। सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा संचालित जन कल्याण की विभिन्न योजनाओं की जानकारी आम नागरिकों को हिन्दी में मिलने से गरीब, पिछड़े और कमजोर वर्ग के लोग भी लाभान्वित होते हुए देश की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।
देश की स्वतंत्रता से लेकर हिन्दी ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। भारत सरकार द्वारा विकास योजनाओं तथा नागरिक सेवाएं प्रदान करने में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदी तथा प्रांतीय भाषाओं के माध्यम से हम बेहतर जन सुविधाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा ‘‘विश्व हिंदी सम्मेलन’’ और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा ‘‘प्रवासी भारतीय दिवस’’ मनाया जाता है जिसमें विश्व भर में रहने वाले प्रवासी भारतीय भाग लेते हैं। विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियों के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम से भारतीय मूल्यों का विश्व में और अधिक विस्तार हो रहा है। विश्वभर में करोड़ों की संख्या में भारतीय समुदाय के लोग एक संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को एक नई पहचान मिली है। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिंदी को भी मान्यता मिली है।
वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है
हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। हिंदी जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है। हिंदी के महत्त्व को गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था, ‘भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी’। हिंदी के इसी महत्व को देखते हुए तकनीकी कंपनियां इस भाषा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। यह खुशी की बात है कि सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। आज वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज पूरी दुनिया में 175 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है।
भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है। आज के तकनीकी के युग में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हिंदी में काम को बढ़ावा देना चाहिए ताकि देश की प्रगति में ग्रामीण जनसंख्या सहित सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी ज्ञान से संबंधित साहित्य का सरल अनुवाद किया जाए। इसके लिए राजभाषा विभाग ने सरल हिंदी शब्दावली भी तैयार की है। राजभाषा विभाग द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन योजना के द्वारा हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के लेखन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे हमारे विद्यार्थियों को ज्ञान-विज्ञान संबंधी पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध होंगी। हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षित युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें, इस दिशा में निरंतर प्रयास भी जरूरी है।
हिन्दी विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है
वैश्विक स्तरपर भारत की राजकीय भाषा हिंदी का प्रचार, प्रसार, महत्व, प्रतिष्ठा इतनी तेजी से बढ़ी है जिसका अंदाजा शायद हमने नहीं लगाया था। आज हम हाल के कुछ वर्षों की बात करें तो जहां हमारे माननीय पीएम महोदय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधनों, वन टू वन हिंदी डायलॉग, उन देशों के मूल भारतीयों से मुलाकात और हिंदी में बातचीत सहित ऐसी कई शासकीय प्रशासकीय स्तर पर उत्साहित प्रक्रिया शुरू है जिसके कारण राजभाषा हिंदी में ऊर्जा का संचार व विशिष्ट मान्यता मिलने से हिंदी की प्रतिष्ठा का अतिविस्तार हुआ है। हम हिंदी की करें तो रविंद्र नाथ टैगोर ने भी कहा था भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी हम जानते हैं हिंदी, बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। संविधान के अनुच्छेद 343 के अंतर्गत संघ की राजभाषा के संबंध में प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 343 के खंड (1) के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी संघ की राजभाषा है। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
आज देश के लगभग सभी प्रांतों में हिंदी भाषा की पढ़ाई हो रही है जिससे हिंदी के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है। किसी भी राष्ट्र के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी भाषाओं के प्रति सजग रहे और उन्हे आगे बढ़ाने के लिए आवश्यकतानुसार कदम उठाए। इस दिशा में देश का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से सजग है और हमारे पीएम जी ने सदैव ही सभी भारतीय भाषाओं के सम्मान को आगे बढ़ाने का काम किया है। पीएम विश्व में जहां भी गए, उन्होंने हिंदी भाषा में संबोधन दिया। इससे वर्तमान पीढ़ी को नई ऊर्जा प्राप्त हुई है और लोग दैनिक व्यवहार में हिंदी भाषा का उपयोग करने में हिचक महसूस नहीं करते। उन्होने कहा कि हमारे गृह मंत्री भी सर्वभाषा प्रेमी हैं और विभिन्न अवसरों पर हिंदी में ही बात करते हैं, इससे लोगों का उत्साह भी बढ़ता है। एक अन्य बुद्धिजीवी ने कहा, गृह मंत्री जी के नेतृत्व में आज गृह मंत्रालय का अधिकतर कार्य हिंदी भाषा में हो रहा है। उन्होने कहा कि स्वतंत्रता के बाद अधिकतर मूल कार्य हिंदी में किए जाने का आशय था परंतु अभी तक यह लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सके, अब समय आ गया है कि मूल कार्य हिंदी में हो और अंग्रेजी में उसका अनुवाद हो। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि आजादी से पहले ही कई संस्थाएं हिंदी के संवर्धन की दिशा में काम कर रही हैं। पं दीन दयाल जी ने कहा था कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पुनर्स्थापना और इतिहास के पुनर्लेखन का काम भाषा के उत्थान के बिना संभव नहीं है। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में संबोधन दिया और सुषमा स्वराज जी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र के हिन्दी में ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया चैनल शुरु किये गये।
हिंदी को एकता का सूत्र मानने की करें तो, हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। हिंदी जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है। हिंदी के महत्त्व को गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने बड़े सुंदर रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था, भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी। हिंदी के इसी महत्व को देखते हुए तकनीकी कंपनियां इस भाषा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। यह खुशी की बात है कि सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। आज वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज पूरी दुनिया में 175 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है। हम हिंदी के विकास में सबकी भागीदारी की करें तो, भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है। आज के तकनीकी के युग में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हिंदी में काम को बढ़ावा देना चाहिए ताकि देश की प्रगति में ग्रामीण जनसंख्या सहित सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी ज्ञान से संबंधित साहित्य का सरल अनुवाद किया जाए। इसके लिए राजभाषा विभाग ने सरल हिंदी शब्दावली भी तैयार की है।
विभाग द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन योजना के द्वारा हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के लेखन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे हमारे विद्यार्थियों को ज्ञान-विज्ञान संबंधी पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध होंगी। हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षित युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें, इस दिशा में निरंतर प्रयास भी जरूरी है। परंतु कुछ हद तक समस्या यह आ रही है कि, देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिन्दी देश की राजभाषा होने के बावजूद आज हर जगह अंग्रेजी का वर्चस्व कायम है। हिन्दी जानते हुए भी लोग हिन्दी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। इसलिए सरकार का प्रयास है कि हिन्दी के प्रचलन के लिए उचित माहौल तैयार की जा सके। अतः अगर हम उपरोक्त पूरा विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय भाषाएं नदियां हैं और हिंदी महानदी। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पीएम का हिंदी में संबोधनों से राजभाषा में ऊर्जा का संचार विशिष्ट मान्यता व हिंदी की प्रतिष्ठा का अति विस्तार हुआ है। संयुक्त राष्ट्र संघ सहित सभी वैश्विक मंचों पर हिंदी का वैश्विक मानदंडों पर खरा उतरना सराहनीय है।
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